पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
परिचय-
प्रदूषण का अर्थ प्रदूषण का अर्थ है- प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। वातावरण में प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।
वायु प्रदूषण-
महानगरों में प्रदूषण अधिक फैला हुआ है वहां चौबीसों घंटे कल कारखाने का धुआं, मोटर गाड़ियों काला धुँआ इस तरह फैल गया है कि साँस लेना मनुष्य के लिए मुश्किल हो गया है। यह समस्या वहां अधिक होती है जहां सघन आबादी और वृक्षों का अभाव होता है।
जल प्रदूषण-
कल कारखानों द्वारा दूषित जल को नदियों में डालने से भयंकर जल प्रदूषण होता रहता है। कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में घुस कर मिल जाता है, जिससे अनेक बीमारियां के पैदा होती है।
ध्वनि प्रदूषण-
मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए परंतु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर गाड़ियों का शोर, मनुष्य में तनाव को जन्म दिया है तथा मनुष्य में बहरेपैन को जनम दिया है।
प्रदूषण के दुष्परिणाम-
प्रदूषण के कारण-
प्रदूषण का कारण आजकल के बढ़ने वाले कल कारखाने, वैज्ञानिक संसाधनों का अधिकाधिक प्रयोग, फ्रिज, कूलर आदि दोषी हैं। वृक्षों का अंधाधुंध कटाई, बढ़ती हुई आबादी आदि प्रदूषण की वृद्धि के कारक है।
प्रदूषण का निवारण-
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिकाधिक वृक्ष लगाए है। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उन से निकले हुए प्रदूषण को नष्ट करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए तथा हमें सबसे बड़ी चीज ध्यान रखनी चाहिए कि हमारे बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण लगाया जाए ताकि बन रही वस्तुओं का कम से कम उपयोग हो और आने वाले कल के लिए बचा रहे।