आज के समय में भ्रष्टाचार का बहुत बोलबाला है। भ्रष्टाचार समास का बहुत गन्दा कीड़ा है। आप इस पोस्ट में bhrashtachar par nibandh in hindi में पढेंगे। भ्रष्टाचार के बारे में एक संक्षिप्त निबंध लिखें।
भ्रष्टाचार और उसे दूर करने का उपाय
अथवा
भ्रष्टाचार समस्या एवं समाधान
भ्रष्टाचार का अर्थ-
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है गिरा हुआ व्यवहार। स्वार्थ और लोभ के कारण किया गया अमान्य व्यवहार भ्रष्टाचार कहलाता है। कुछ लोग घुस, मिलावट अधिकृत कार्यों को ही भ्रष्टाचार की संज्ञा देते हैं परंतु यह इतनी छोटी बात नही है भ्रष्टाचार का दायरा बहुत बड़ा है।
भ्रष्टाचार का फैलाव-
प्रधानमंत्री से लेकर एक छोटे से चपरासी तक इसका फैलाव है। प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी के लिए लोगों को फूट डालता है और किसी विशेष वर्ग के प्रति पक्षपात और अन्य के प्रति उपेक्षा करता है तो वह स्पष्ट भ्रष्टाचार हैं अगर राजनीतिज्ञ वोट पाने के लिए समाज को गुमराह करता है।
डॉक्टर अधिक धन के लालच में लोगो का ठीक से उपचार नहीं करता। इंजीनियर ठेकेदार से सांठगांठ करके कमजोर पुल बनाता है। प्रोफ़ेसर कक्षा में ठीक से नहीं ठीक से ना पढ़ा कर घर में ट्यूशन पढ़ाता है। परीक्षक छात्रों को नकल करवाता है विद्यार्थी नकल करके पास होता है। व्यापारी मिलावट करता है या मन चाहे दाम लेता या कम तोलता है। पुलिस का जवान अपराधी को नजर अंदाज करता है।
भ्रष्टाचार का बोलबाला-
भारत में भ्रष्टाचार का हर तरफ बोलबाला है। ईमानदारी का कार्य बहुत कम ही होता है भ्रष्टाचार का कीड़ा सभी जगह घुस चुका है। गरीबों के लिए सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं होती परंतु जबकि अमीरों को सीधे दाखिल कर लिया जाता है।
प्राइवेट डॉक्टरों की मोटी फीस उनके भ्रष्ट आचरण की कहानी ऐसे ही कहती है आज बाजार में नकली दवाइयों का बोलबाला है कई बार नकली इंजेक्शन लग जाने से रोगी की जान चली जाती है।
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खाद्य पदार्थों में मिलावट-
आजकल खाद्य पदार्थों मैं भी इतना भ्रष्टाचार भरा पड़ा है कि की बाजार की वस्तुओं पर आदमी मैं विश्वास नहीं करता हल्दी में पीला रंग, चाय में गोबर, काली मिर्च पपीते के बीज, दूध में पानी आदि की मिलावट सर्वाधिक है।
कई बार अखबार में खबर आती है कि कोई बरात मिठाई खाने से बीमार पड़ गई कहीं दूषित भोजन खाने से कई लोग मर गए। पेट्रोल में मिट्टी का तेल, कपड़ों में नकली मोहर, जूतों, पुस्तकों, बिजली के उपकरणों आदि में नकली मिलते हैं।
स्कूल कॉलेज और सरकारी दफ्तर में भ्रष्टाचार-
आजकल स्कूल और कॉलेज भी भ्रष्टाचार से ग्रसित हो चुके हैं। आज विद्यालय में प्रवेश करने का मामला हो या नौकरी मिलने का जगह भ्रष्टाचार, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। योग्य गरीब छात्र लंबी लाइनों में धक्के खाते रहते हैं, जबकि अमीर पिताओ के नालायक बेटे दो नंबर के दरवाजे से प्रवेश पा लेते हैं।
सरकारी कार्यालयों में तो बात तभी बनता है जब उसनमे घूस का पेट्रोल डाला जाता है। सरकारी स्कूल हो या ऑफिस हो सबका बुरा हाल है। आज ऐसे ऐसे अध्यापक है जो स्कूल दर्शन के लिए केवल जाते हैं और घर बैठे मासिक आय प्राप्त करते हैं। बिजली विभाग से पता कीजिए कि कितने लोग बिजली की सरेआम चोरी करते हैं दुर्भाग्य तो यह है कि इतने बड़े-बड़े अधिकारी भी इन कामों में लगे।
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प्रशासन का भ्रष्टाचार-
पुलिस के भ्रष्टाचार का तो कहना है क्या जब अपराधी निकल जाता है तब पुलिस वहां आती और निअपराध गरीबो को पकड़ कर ले जाती है। इस देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी राजनेता है। जिसने देश को वेश्या बाजार बना कर रख दिया है। राजनेेता वोट करने के लिए कभी-कभी अल्पसंख्यकों की जूते पकड़ लेता है कभी ऋण माफी की गलत वायदे करता है। कभी कुर्सी बचाने के लिए मंत्रिमंडल को ही खरीदना है।
भारत में भ्रष्टाचार इसलिए बढ़ा क्योंकि यहां सब नेता एवं भ्रष्ट है इसलिए वे भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं करते परिणाम स्वरूप या बुराई ऊपर से नीचे तक बढ़ती चली जाती है, दूसरे भूख गरीबी और कुछ सामाजिक बुराइयां भी मनुष्य को भ्रष्ट करती है। दहेज चुकाने के लिए लड़की का पिता खुलेआम गलत कार्य करता है। तीसरे यहां के आम आदमी के जीवन में कोई आदर्श नहीं रह गया है।
भ्रष्टाचार पर विजय-
भ्ररष्टाचा तब समाप्त हो सकता है जब समाज भ्रष्टाचार पर्दाफाश करने का दृढ़ संकल्प कर ले। देश में सबसे शक्तिशाली होते हैं युवा यदि में दृढ संकल्प ले कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ना है तो भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं रहेगा।
परंतु फिर से यह प्रश्न है कि युवक कैसे संगठित हो और उनमें या दृढ़ संकल्प कैसे जागे इसका सीधा सा उपाय है कि भारत के शिक्षक साहित्यकार, पत्रकार, कवि, कलाकार, एकजुट होकर देश के लोगों में आचरण की शुद्धता के संस्कार भरे।
आशा है आप को यह लेख पसंद आया होगा और आपको भ्रष्टाचार पर निबंध अच्छा लगा होगा।