आज हम ओम के नियम (Ohm's law) के बारे में बात करेंगे। क्या आप जानते हैं कि ओम का नियम क्या है? नही तो कोई बात नहीं। हम इस पोस्ट में ओम के नियम के बारे में पढेगे। ओम का नियम का प्रयोग विद्युत परिपथों को बनाने में प्रयोग होता है।
ओम का नियम
जर्मनी के एक वैज्ञानिक जी. एस. ओम ने 1826 ई. में दिष्टधारा(DC) परिपथों में विद्युत धारा(I), विभवान्तर (V), और प्रतिरोध(R) के बीच में एक संबंध स्थापित किया था, जिसे ओम का नियम कहा जाता है।ओम के इस नियम के अनुसार बंद विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने वाला विद्युत धारा परिपथ के विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होता है अथार्थ परिपथ में जब विभवान्तर(V) बढ़ता है तब विद्युत धारा(I) भी बढ़ता है और जब विभवान्तर(v) घटता है तब विद्युत धारा(I) भी घटता है।
इस कथन को सत्य करने के लिए हम लिखते हैं
V=IR
यदि V निकालना हो और I तथा R दिया हो तो
V=IR
यदि I निकालना हो और V तथा R दिया हो तो
I=V/R
यदि R निकालना हो और V तथा I दिया हो तो
R=V/I
इन सभी सुत्रो से आप परिपथ में किसी भी value मान को निकाल सकते है।
इस कथन को सत्य करने के लिए हम लिखते हैं
V=IR
यदि V निकालना हो और I तथा R दिया हो तो
V=IR
यदि I निकालना हो और V तथा R दिया हो तो
I=V/R
यदि R निकालना हो और V तथा I दिया हो तो
R=V/I
इन सभी सुत्रो से आप परिपथ में किसी भी value मान को निकाल सकते है।
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